शहीदों की चिताओं पे – Shahido Par Shayari
शहीदों की चिताओं पे अमन के फूल खिल जाएं
मोहब्बत की उड़े ख़ुशबू चमन को ख़ूब महकाएं
दुआओं में ख़ुदा से बस यही अब माँगते हैं हम
जिएं तो बस वतन ख़ातिर वतन के नाम मर जाएं
सियासत की हक़ीक़त तो यहाँ पर जानते सब हैं
कभी आपस में लड़वाएं,कभी दंगो को भड़काएं
युवा पीढ़ी अग़र समझे गए वक़्तों से कुछ सीखे
यही आज़ाद हिंदुस्तान का आधार कहलाएं
लहू से सींच कर अपने बनाया है गुलिस्तां ये
भगत, आज़ाद की कुर्बानियाँ ज़ाया न हो पाएं
किया किसने, भरा किसने, पुरानी बात है छोड़ो
नए युग का करें आरंभ अब ये छोड़ चर्चाएं
बदल पाओ अग़र पिछला पुराना साथ में सब हैं
नही तो जो विरासत में मिला है दिल से अपनाएं
नज़र आती नही सूरत कहीं से सुब्ह होने की
अंधेरे नफ़रतों के जिस तरह से मुल्क़ में छाएं
न हिन्दू हों,न मुस्लिम हों, उपासक भारती के हों
लबों से मातरम निकले तिरंगा मिल के लहराएं
✍️शैलेन्द्र ‘बिंदास’
ग़ज़लकार
देवनगर जिला रायसेन
मध्यप्रदेश
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Shailendra Thakur